Wednesday, October 10, 2018



               _*यौमे आज़ादी मुबारक हो*_
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_*मरकज़े अहले सुन्नत बरैली शरीफ से शहज़ादये ताजुश्शरिया हज़रत अल्लामा मौलाना असजद रज़ा खान साहब क़िब्ला मद्दा ज़िल्लहुल आली ने मुल्क के मुसलमानों से अपील की है कि 15 अगस्त के दिन खुशी मनाये तिरंगा फैराएं मिठाई बाटें मगर राष्ट्रगान यानि वन्दे मातरम हरगिज़ न गाएं कि ये कुफ्र है और जन गण मन से भी परहेज़ करें हां तरानये इक़बाल "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" पढ़ें*_

_*कुछ कुफ्रियात*_

_*भारत माता की जय बोलना कुफ्र है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 598*_

_*जय हिन्द बोलना भी जायज़ नहीं है कि शियारे हिनूद है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 463*_

_*हिंदुस्तान जिंदाबाद कहें*_

_*वन्दे मातरम गाने वाला काफिर है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 590*_

_*गैर मुस्लिमो को शहीद कहना कुफ्र है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 588*_

_*जो ये कहे कि मौलवी से अच्छे तो पंडित हैं काफिर है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 587*_

_*जिसने मज़ाक़ में भी ये कहा कि सोचता हूं कि मैं हिन्दू या ईसाई हो जाऊं या किसी भी काफिरो मुर्तद फिरके का नाम लिया तो फौरन काफिर हो गया*_

_*📕 अहकामे शरीयत, हिस्सा 2, सफह 24*_

_*किसी काफिर को महातमा कहना कुफ्र है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 589*_

_*मुसलमान अगर जय श्री राम जय हनुमान हर हर महादेव जय श्री गणेश जय भीम हरे रामा हरे कृष्णा या मैरी क्रिस्मस या इस तरह का कोई भी मज़हबी नारा जो काफिरों में मशहूर है लगायेगा तो काफिर है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 550*_

_*हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई जो ये नारा लगाये काफिर है*_

_*📕 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 552*_

_*युंही नमस्ते नमस्कार प्रणाम वगैरह कहना भी नाजायज़ो हराम है,मुसलमानों को चाहिए कि अगर मुसलमान बनकर पैदा हुए हैं तो मुसलमान ही बने रहे क्यों गैरों की तरह जाहिलियत दिखाकर अपनी और अपने इस्लाम की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और अगर किसी नाम निहाद मुसलमान को लगता है कि अपने आपको गैरों की तरह दिखाकर उसे इज़्ज़त व दौलत मिल जाएगी तो याद रखें कि अव्वल तो ऐसा होगा नहीं कि दीन को ढ़ाने पर उसे इज़्ज़त मिले और हाशा लिल्लाह अगर काफिरों ने उसकी इज़्ज़त कर भी ली तो ये इज़्ज़तो दौलत कब तक उसके काम आएगी आखिर कार एक दिन तो उसे मरना ही है तब क्या करेगा क्या अपना सुवर जैसा मुंह लेकर रब के सामने जायेगा, लिहाज़ा जिसका जो काम है उसे करने दीजिये मुसलमान सिर्फ अपने धरम का काम करे इसी में उसकी इज़्ज़त भी है और फलाह भी*_
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