_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 12)*_
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*_दुनिया व आख़िरत में मग़फ़िरत याफ़्ता_*
_*🌹उम्मुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती हैं:- नबिये करीम ﷺ हज़रते उम्मे ह़बीबा रदिअल्लाहु अन्हा के पास जल्वा फ़रमा थे, किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : देखो कौन है*_
_*अर्ज़ की : मुआविया है।*_
_*आप (हुज़ूर ﷺ) ने फरमाया :- उन्हें बुला लो।*_
_*हज़रते सैय्यदना अमीरे मुआविया रदिअल्लाहु अन्ह ख़िदमते अक़्दस में हाजिर हुए तो आपने कान पर ✒क़लम रखा हुआ था जिसे से आप किताबत फरमाया करते थे, नबिये करीम ﷺ ने फरमाया : मुआविया तुम्हारे कान पर कलम कैसा है❓*_
_*हज़रते सैय्यदना अमीरे मुआविया रदिअल्लाहु अन्ह ने अर्ज़ की : मैं इस कलम को अल्लाह और उसके रसूल के लिए तैय्यार रखता हूँ।*_
_*नबिये करीम ﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह तुम्हारे नबी की त़रफ़ से तुम्हें जज़ाए ख़ैर अता फ़रमाये, मेरी ख़्वाहिश है कि तुम सिर्फ़ वही की किताबत किया करो और मैं हर छोटा बड़ा काम अल्लाह की वही से कर*_
_*(यह बात सुन कर) ह़ज़रते सैय्यदतुना उम्मे ह़बीबा रदिअल्लाहु अन्हा उठीं और नबिये करीम ﷺ के रू-बरू बैठ कर अ़र्ज़ की :- या रसूलअल्लाह ﷺ ! क्या अल्लाह मेरे भाई को ख़िलाफ़त अ़त़ा फ़रमाएगा❓*_
_*🌹आप (रसूलअल्लाह ﷺ) ने फ़रमाया :- हां! लेकिन इस में आज़माइश है, आज़माइश है, आज़माइश है।*_
_*उम्मुल मोमिनीन ह़ज़रते सैय्यदतुना उम्मे ह़बीबा रदिअल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ की : या रसूलअल्लाह ﷺ आप इनके लिए दुआ़ फ़रमा दीजिए।*_
_*🤲🏻नबिये करीम ﷺ ने दुआ़ की :-*_
_*📝तर्जुमा : "ऐ अल्लाह मुआविया को हिदायत पर साबित क़दमी अ़ता़ फ़रमा, इन्हें हलाकत से मह़फ़ूज़ फ़रमा और दुनिया व आख़िरत में इन की मग़्फ़िरत फ़रमा।"*_
_*(सुभानअल्लाह)*_
_*📕 मोअजमे अहमद, मीन ईस्मेही अहमद, जिल्द 01, पेज नम्बर 497, हदीस नम्बर 1838*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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