_*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 13)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_
_*अख़लाक व सीरत : आपके दिल मे कौमो मिल्लत कि इसलाह का जज़्बा मौज़जन रहता था.! आप अपनी कौम को हमेशा बुजुर्गो से जुड़े रहने और उनके नक्शे कदम पर साबीत देखना चाहते थे.!*_
_*हुज़ुर अमीने शरीअत के मालुमात दीनी व दुनीयावी उलमाए सलफे सालेहीन के आईनादार थे.! आप हर काम मे शरीअत को पेशे नज़र रखते थे और फरमाते थे :*_
_*"के सुन्नी मुसलमान का उठना-बैठना, खाना-पीना, मिलना-जुलना सब कुछ अल्लाह के लिये और रसुल्लाह सलल्लाहो अलैह वसल्लम की सुन्नत के मुताबीक हो"*_
_*और रही बात मोहब्बते रसुल सलल्लाहो अलैह वसल्लम की तो इसके बारे मे कहना ही क्या.?*_
_*ये तो खानवादए आलाहज़रत कि इमतियाज़ी शान है.!*_
*📕 مضامین امین شریعت*
_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा......*_
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