_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 024)*_
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_*☝🏻अक़ीदा :- वही अल्लाह के पैगाम जो नबियों के लिए खास होते है उन्हें वहये नुबुव्वत कहते हैं।*_
_*और वहये नुबुव्वत नबी के अलावा किसी और के लिए मानना कुफ़्र है। नबी को ख्वाब में जो चीज़ बताई जाए वह भी वही है। उसके झूटे होने का कोई गुमान नहीं।*_
_*वली के दिल में कभी कभी सोते या जागते में कोई बात बताई जाती है उसको इल्हाम कहते हैं।*_
_*और वहये शैतानी वह है कि जो। शैतान की तरफ से दिल में कोई बात आये। यह वही काहिन (ज्योतिष) जादूगरों और दूसरे काफिरों और फासिको के लिए होती हैं।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 14/15*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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