_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 008)*_
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_*☝🏻अक़ीदा :अल्लाह का इल्म, जुज़्यात, कुल्लियात, मोजूदात मादुमात मुमकिनात और मुहालात को मुहित (घेरे हुए) है यानी सबको अज़ल में जानता था और अब भी जानता है और अबद तक जानेगा ! चीज़े बदल जाया करती है लेकिन अल्लाह तआला का इल्म नही बदलता ! वह दिलों की बातें और वसवसों को जानता है यहां तक कि उसके इल्म की कोई थाह नही !*_
_*☝🏻अक़ीदा : वह हर खुली और ढकी चीज़ों जानता है और उसका इल्म ज़ाती है और ज़ाती इल्म उसी के लिए ख़ास है ! जो कोई ढकी छिपी या जाहिरी चीज़ों का ज़ाती इल्म अल्लाह के सिवा किसी दूसरे के लिए साबित करे वह क़ाफ़िर है ! क्योंकि किसी दूसरे के लिए ज़ाती इल्म मानने का मतलब यह है कि बग़ैर खुदा के दिये खुद हासिल हो !*_
_*☝🏻अक़ीदा : अल्लाह ही हर तरह की ज़ातों और कामों की पैदा करने वाला है ! हक़ीक़त में रोज़ी पहुचाने वाला सिर्फ अल्लाह ही है और फ़रिश्ते रोज़ी पहुचाने के ज़रिए हैं !*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 8*_
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