_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 043)*_
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_*☝🏻अक़ीदा- हुजूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) के ख़साइस में से एक यह भी है। कि उन्हें मेअ्राज हुई। हुजूर अलैहिस्सलाम अपने जाहिरी जिस्म के साथ मस्जिदे हराम से मस्जिदे अकसा और वहां से सात आसमानों कुर्सी और अर्श तक बल्कि अर्श से भी ऊपर रात के एक थोड़े से हिस्से में तशरीफ ले गए और उन्हें वह खास कुरबत हासिल हुई जो कभी भी न किसी बशर को हुई और किसी फ़रिश्ते को मिली और न ऐसी कुरबत किसी को मिल सकती है।*_
_*हुजूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने अल्लाह का जमाल अपने सर की आँखों से देखा और अल्लाह का कलाम बिना किसी ज़रिए के सुना और जमीन व आसमान के हर जर्रे को तफ़सील से देखा। पहले और बाद की सारी मखलूक हुजूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) की मुहताज और न्याजमन्द है यहाँ तक कि हज़रते इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम भी।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 20*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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