_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 044)*_
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_*☝🏻अक़ीदा- कियामत के दिन शफाअते कुबरा का मरतबा हुजूर अलैहिस्सलाम के खसाइस में से एक खुसूसियत है कि जब तक हुजूर शफाअत का दरवाजा नहीं खोलेंगे किसी को शफाअत की मजाल न होगी बल्कि जितने भी शफाअत करने वाले होंगे हुजूर के दरबार में शफाअत लायेंगे और अल्लाह तआला के दरबार में हुजूर की यह "शफाअते कुबरा' मोमिन, काफिर, फरमॉबरदारी करने वाले और गुनाहगार। सबके लिए है। क्यूंकि वह हिसाब किताब का इन्तेजार जो बहुत सख्त जान लेवा होगा जिसके लिए। लोग तमन्नायें करेंगे कि काश जहन्नम में फेंक दिए जाते और इस इन्तेजार से नजात मिल जाती, इस बला से छुटकारा काफिरों को भी हुजूर की वजह से मिलेगा जिस पर पहले के बाद के मुवाफिक, मुखालिफ, मोमिन और काफिर सब लोग हुजूर की हम्द (तारीफ) करेंगे। इसी का नाम मकामे महमूद है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 20*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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