_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 042)*_
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_*☝🏻अक़ीदा :- हुजूर जैसा किसी का होना मुहाल है। हुजूर की खास सिफ्तों में अगर कोई किसी को हुजूर का मिस्ल बताए वह गुमराह या काफिर है।*_
_*☝🏻अक़ीदा :- हुजूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) को अल्लाह तआला ने "महबूबियते कुबरा" का मतरबा दिया है। यहां तक कि तमाम मखलूक मौला की रजा चाहती है और अल्लाह तआला हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) की रजा चाहता है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 19*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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