_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 002)*_
―――――――――――――――――――――
_*“अक़ाइद का बयान”*_
_*🕋अल्लाह तआला की ज़ात और उसकी सिफ़तों के बारे में अक़ीदे*_
_*अक़ीदा : अल्लाह कि ज़ात का इदराक अक़्ल के ज़रिए मुहाल है यानी अक़्ल से उसकी ज़ात को समझना मुमकिन नही क्योंकि जो चीज़ अक़्ल के ज़रिए समझ मे आती है अक़्ल उसको अपने घेरे में ले लेती है ! और अल्लाह की शान ये है कि कोई चीज़ उसकी ज़ात को घेर नही सकती ! अलबत्ता अल्लाह के कामों के ज़रिए से मुख़्तसर तौर पर उसकी सिफ़तों और फिर उन सिफ़तों के ज़रिए अल्लाह तआला की ज़ात पहचानी जाती है !*_
_*अक़ीदा : अल्लाह तआला की सिफ़तें न एन हैं न ग़ैर यानी अल्लाह तआला की सिफ़तें उसकी ज़ात नही न वह सिफ़तें किसी तरह उसकी ज़ात से अलग हो सकें क्योंकि वह सिफ़तें ऐसी हैं जो अल्लाह की ज़ात को चाहती हैं और उसकी ज़ात के लिए ज़रूरी है !*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 6*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment