_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 065)*_
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_*☝🏻अक़ीदा :- मरने के बाद भी रूह का रिश्ता इन्सान के बदन के साथ बाकी रहता है। रूह अगरचे बदन से अलग हो गई मगर बदन पर जो बीतेगी रूह को पता होगा और रूह पर उसका असर जरूर पड़ेगा जैसा कि दुनिया में जब बदन का असर रूह पर होता है उसी तरह या उससे भी ज्यादा मरने के बाद होता है।*_
_*इन्सान जब अपनी दुनिया की जिन्दगी ठंडा पानी, हवा, नर्म बिस्तर या आराम देने वाली सवारिया अपने इस्तेमाल में लाता है तो इन चीजों का असर जिस्म पर पड़ता है मगर आराम और राहत रूह को मिलती है। ऐसे ही जब इन्सान गर्म पानी, गर्म हवा, सख्त बिस्तर और तकलीफ देने वाली सवारियों को इस्तेमाल में लाता है तो उनकी गर्मी और सख्ती का असर इन्सान के जिस्स पर पडता है लेकिन तकलीफ रूह को होती है लेकिन जो चीज इन्सान के जिस्म पर असर कर के रूह के आराम और तकलीफ का सबब बनती है रूह की तकलीफ और आराम इन्हीं असबाब पर मौकूफ़ नहीं बल्कि कुछ ऐसे सबब भी हैं जिनका इन्सान के जिस्म से कोई ताल्लुक नहीं। जैसे कि कभी इन्सानी रूह को खुशी होती है और कभी गम और जाहिर है कि इन चीजों का तअल्लुक इन्सान जिस्म से कुछ भी नहीं बल्कि रूह के लिए आराम और तकलीफ के यह असबाब अलग से है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 26/27*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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