Monday, August 26, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 064)*_
―――――――――――――――――――――

_*☝🏻अक़ीदा :- हर एक के लिए मौत का दिन और वक्त मुकर्रर है। जिस की जितनी जिन्दगी है उसमें कमी बेशी नहीं हो सकती जब जिन्दगी के दिन पूरे हो जाते हैं उस वक्त हज़रते इज़राईल अलैहिस्सलाम रूह कब्ज करने के लिए आते हैं। उस वक्त उस आदमी को उसके दाएं बाएं हर तरफ और जहाँ तक निगाह काम करती है। फिरिश्ते दिखाई देते हैं। मुसलमान के आस पास रहमत के फिरिश्ते होते हैं और काफिर के दाहिने बाएं अजाब के फ़िरिश्ते होते हैं। उस वक्त हर एक पर इस्लाम की हक्कानियत सूरज से ज्यादा रौशन हो जाती है। उस वक्त अगर कोई काफिर ईमान लाना चाहे तो उसका ईमान नहीं माना जायेगा। क्यों कि वह इसलाम की हक्कानियत देख कर ईमान लाना चाहता है और हुक्म ईमान बिल गैब का है यानी बे देखे ईमान लाने का और अब गैब यानी बिना देखे न रहा लिहाजा ईमान कुबूल नहीं।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 26*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...