_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 074)*_
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_*मुनाफिक मुर्दा हर सवाल के जवाब में कहेगा।*_
_*📝तर्जमा :- "अफ़सोस मुझे तो कुछ पता नहीं और यह भी कहेगा कि :-*_
_*📝तर्जमा :- "मैं लोगों को कुछ कहते सुनता था तो मैं भी कहता था।*_
_*उस वक्त गैब से एक आवाज़ आयेगी कि यह झूटा है। इसके लिए आग का बिछौना बिछाओ, आग का लिबास पहनाओं और जहन्नम की तरफ दरवाजा खोल दो। फिरिश्ते खिड़की खोल देंगे। उसकी गर्मी और लपट पहुँचेगी और उस पर अज़ाब देने के लिए दो फरिश्ते मुकर्र होंगे जो अंधे और बहरे होंगे। उन के साथ लोहे का ऐसा गुर्ज होगा कि अगर उसे पहाड़ पर भी मारा जाये तो पहाड़ टुकड़े टुकड़े हो जाये। उस गुर्ज से मुनाफिक को वह फरिश्ते मारते रहेंगे। सांप और बिच्छू उसे डसते रहेंगे और उसके गुनाह कुत्ते या भेड़िये की शक्ल में जाहिर हो कर उसे तकलीफ पहुँचायेंगे। नेक लोगों के अच्छे अमल महबूब और अच्छी अच्छी सूरतों में ढलकर उनके दिल बहलायेंगे।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 29*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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