_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 073)*_
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_*मुनाफिक के लिए इसका उल्टा होगा कि पहले जन्नत की खिड़की खुलेगी ताकि मुनाफिक उसकी खुशबू उसकी ठन्डक आराम और नेमत की झलक देख ले और फिर वह खिड़की फौरन बन्द कर दी जायेगी और दोजख की खिड़की खोल दी जायेगी ताकि उस पर बड़ी बला भी हो और दिल से ईमान न लाने की हसरत भी बाकी रहे कि हजुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को न मान कर या उनकी शान में गुस्सा करके कैसी दौलत खोई और कैसी आफत पाई।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 29*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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