_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 039)*_
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_*☝🏻अकीदा : अम्बिया अलैहिमुस्सलान अपनी अपनी कब्रों में उसी तरह हक़ीकी जिन्दगी के साथ जिन्दा हैं जैसे दनिया में थे। खाते पीते हैं जहाँ चाहे आते जाते है। अलबत्ता अल्लाह तआला के। वादे कि “हर नफ्स को मौत का मजा चखना है' के मुताबिक नबियों पर एक आन के लिए मौत आई। और फिर उसी तरह जिन्दा हो गए जैसे पहले थे।*_
_*उनकी हयात शहीदों की हयात से कहीं ज्यादा बलन्द व बाला है इसीलिए शरीअत का कानून यह है कि शहादत के बाद शहीद का तर्का (बचा हुआ माल) तकसीम होगा। उसकी बीवी इद्दत गुजार कर दूसरा निकाह कर सकती है लेकिन नबियों के यहां यह जाइज नहीं। अब तक नुबुव्वत के बारे में जो अक़ीदे बताए गए इनमें तमाम नबी शरीक है।*_
_*अब कुछ वह चीजें जो हम सब के आका व मौला मदनी ताजदार सरकारे रिसालत हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) के लिए खास है बयान किये जाते हैं।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 18/19*_
_📍इन्शाअल्लाह अगले पोस्ट में बताया जायेगा_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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