_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 054)*_
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_*नबी से महब्बत*_
_*☝🏻अक़ीदा :- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला के नाइब हैं। सारा आलम हुजूर के तसरूफ (इख्तियार या कब्जे) में कर दिया गया है। जो चाहें करें, जिसे जो चाहें दें जिससे जो चाहे वापस ले लें। तमाम जहान में उनके हुक्म का फेरने वाला कोई नहीं तमाम जहान उनका महकूम है। वह अपने रब के सिवा किसी के महकूम नहीं और तमाम आदमियों के मालिक हैं। जो उन्हें अपना मालिक न जाने वह सुन्नत की मिठास से महरूम रहेगा। तमाम ज़मीन उनकी मिल्कियत है, तमाम जन्नत उनकी जागीर है,*_
_*(मलकूतुस्समावाति वल अर्द) यानी आसमानों और जमीनों के फ़रिश्ते हुजूर ही के दरबार से तकसीम होती हैं। दुनिया और आखिरत हुजूर की देन का एक हिस्सा है। शरीअत के अहकाम हुजूर के कब्जे में कर दिए गए कि जिस पर जो चाहें हराम कर दें और जिस के लिए जो चाहें हलाल कर दें और जो फर्ज चाहें माफ कर दें।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 23*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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