_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 055)*_
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_*नबी से महब्बत*_
_*☝🏻अक़ीदा :- सब से पहले नुबुव्वत का मरतबा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को मिला और मिसाक के दिन तमाम नबियों से हुजूर पर ईमान लाने और हुजूर की मदद करने का वअदा लिया गया। और इसी शर्त पर उन नबियों को यह बड़ा मनसब दिया गया। 'मीसाक' का मतलब यह है कि एक रोज अल्लाह तआला ने सब रूहों को जमा करके यह पूछा कि क्या मैं तुम्हारा नहीं हूँ तो जवाब में सब से पहले हमारे हुज़ूर (सल्लल्लाहू तबारक व तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने हाँ कहा था। अल्लाह तआला ने सब को और सारे नबियों को हुज़ूर पर ईमान लाने और उनकी मदद करने का वादा लिया था। यही 'मीसाक का मतलब है। हुज़ूर सारे आलम के नबी तो है ही। लेकिन साथ ही नबियों के भी नबी हैं और सारे नबी हुज़ूर के उम्मती हैं। इसीलिए हर नबी ने अपने अपने ज़माने में हुज़ूर के क़ाइम् मुकाम काम किया अल्लाह तआला ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मुनव्वर किया। इस तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर जगह मौजूद हैं। जैसा कि एक शायर का अरबी शेर है।*_
_*तर्जमा :- "आप ऐसे नूर हैं जैसा कि सूरज बीच आसमान में है और उसकी रौशनी तमाम शहरों में बल्कि मशरिक से मगरिब तक हर सम्त में फैली हुई है।*_
_*गर न बीनद बरोज शप्परा चश्म,*_
_*चश्मये आफताब रा चे गुनाह.*_
_*तर्जमा :- “अगर चमगादड़ दिन को नहीं देखता तो इसमें सूरज की किरनों का क्या कुसूर है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 23/24*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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