_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 063)*_
―――――――――――――――――――――
_*आलमे बरज़ख का बयान।*_
_*दुनिया और आखिरत के बीच एक और आलम है जिसको बरज़ख़ कहते हैं। मरने के बाद और कियामत से पहले तमाम इन्सानों और जिनों को अपने अपने मरतबे के लिहाज से बरजख में रहना होता है। और यह आलम इस दनिया से बहुत बड़ा है। दुनिया बरज़ख़ के मुकाबले में ऐसी है जैसे माँ के पेट में बच्चा। बरज़ख में कोई आराम से है और कोई तकलीफ से।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 26*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment