_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 004)*_
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_*☝🏻अक़ीदा - जिस तरह अल्लाह तआला की ज़ात क़दीम, अज़ली व अबदी है उसी तरह उसकी सिफ़तें भी क़दीम, अज़ली और अबदी है !*_
_*☝🏻अक़ीदा - अल्लाह की कोई सिफ़त मख़लूक़ नही न ज़ेरे क़ुदरत दाख़िल !*_
_*☝🏻अक़ीदा - अल्लाह की जात और सिफ़ात के अलावा सब चीजें हादिस यानी पहले न थीं अब मौजूद हैं !*_
_*☝🏻अक़ीदा - जो अल्लाह की सिफ़तों को मख़लूक़ कहे य्या हादिस बताये व ग़ुमराह और बद्दीन है !*_
_*☝🏻अक़ीदा - जो आलम में से कोई चीज़ को ख़ुद से मौजूद माने या उसके हादिस होने में शक़ करे वह क़ाफ़िर है !*_
_*☝🏻अक़ीदा - अल्लाह तआला न किसी का बाप है न किसी का बेटा और न उसके लिए कोई बीवी ! यदि कोई अल्लाहः के लिये बाप, बेटा, या जोरू(बीवी) बताये वह भी क़ाफ़िर है ! बल्कि जो मुमकिन भी बताए वह गुमराह बद्दीन है !*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 6-7*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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