Monday, August 26, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 005)*_
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_*☝🏻अक़ीदा : वह हर मुमकिन पर क़ादिर है और कोई मुमकिन उसकी क़ुदरत से बाहर नही ! जो चीज़ मुहाल हो अल्लाह तआला उससे पाक है कि उसकी उसे शामिल हो क्योंकि मुहाल उसे कहतें हैं जो मोजूद न हो सके और जब उस पर क़ुदरत होगी तो मौजूद हो सकेगा ! ओर जब मौजूद हो सकेगा तो मुहाल कैसे हो सकेगा ! इसे इस तरह समझिए जैसे कि दूसरा खुदा मुहाल है यानी दूसरा खुदा हो ही नही सकता !*_

_*अगर दूसरा खुदा होना क़ुदरत के मातहत (अधीन) हो तो मौजुद हो सकेगा तो मुहाल नही रहा ! और दूसरे खुदा को मुहाल न मानना अल्लाह के एक होने का इनकार है !*_

_*यूँही अल्लाह का फ़ना हो जाना मुहाल है ! अगर अल्लाह तआला के फ़ना होने को क़ुदरत में दाख़िल माना जाए तो अल्लाह के अल्लाह होने से ही इनकार करना है !*_

_*एक बात समझने की है कि हर वह चीज़ जो अल्लाह की क़ुदरत कर मातहत हो वह मौजूद हो ही जाए यह कोई जरूरी नही ! जैसे कि यह मुमकिन है कि सोने चांदी की ज़मीन हो जाये लेकिन ऐसा नही है ! लेकिन ऐसा हो जाना हर हाल में मुमकीन रहेगा चाहे ऐसा कभी न हो !*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 7*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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