_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 056)*_
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_*एक जरूरी मसअ्ला*_
_*अम्बिया अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम से जो लगजिशें हुई उनका जिक्र कुर्आन शरीफ और हदीस शरीफ की रिवायत के अलावा बहुत सख्त हराम है। दूसरों को उन सरकारों के बारे में जबान खोलने की मजाल और हिम्मत नहीं। अल्लाह तआला उनका मालिक है जिस तरह चाहे सुलूक करे और वह उसके प्यारे बन्दे हैं, अपने रब के लिए जैसी चाहें इनकिसारी करें। किसी दूसरे के लिए यह हक नहीं कि नबियों ने जो अल्फाज अपने लिए इनकिसारी से इस्तेमाल किए हैं उनको सनद बनाए और उनके लिए बोले।*_
_*फिर यह कि उनके यह काम जिनको लगज़िश कहा गया है उनसे बहुत से फायदों और बरकतों का नतीजा निकलता है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 24*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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