_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 047)*_
―――――――――――――――――――――
_*"ऐ अल्लाह हम भी तेरे महबूब की शफाअत के मुहताज हैं। तू हमारी फरियाद सुन ले । हमारी दुआ है कि :-*_
_*तर्जमा :- " ऐ अल्लाह हमको अपने हबीबे मुकर्रम (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) की शफाअत अता फरमा जिस दिन न माल काम आयेगा न बेटे मगर वह जो अल्लाह के पास हाजिर हुआ सलामत दिल लेकर”। शफाअत के कुछ और हालात और हुजूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) की और दूसरी खुसूसियतें जो कियामत के दिन जाहिर होंगी इन्शाअल्लाहु तआला आखिरत के हालात में बताई जायेगी।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 21*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment