_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 006)*_
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_*☝🏻अकीदा :- अल्लाह हर कमाल और खूबी का जामेअ् है यानी उसमें सारी खूबियाँ हैं और अल्लाह हर उस चीज से पाक है जिसमें कोई भी ऐब बुराई या कमी हो यानी उसमें ऐब और नुकसान का होना मुहाल है।*_
_*बल्कि जिसमें न कोई कमाल हो और न कोई नुकसान वह भी उसके लिए मुहाल है।*_
_*मिसाल के तौर पर झूट बोलना, दगा देना, खियानत करना, जुल्म करना और जिहालत और बेहयाई वगैरा ऐब अल्लाह के लिए मुहाल है।*_
_*और यह कहना कि झूट पर कुदरत इस माना कर कि वह खुद झूट बोल सकता है मुहाल को मुमकिन ठहराना और खुदा को ऐबी बताना है बल्कि खुदा का इन्कार करना है*_
_*और यह समझना कि यदि वह मुहाल पर कादिर न होगा तो उसकी कुदरत नाकिस रह जायेगी बिल्कुल बातिल है यानी बेअस्ल और बेकार की बात है कि उसमें कुदरत का क्या नुकसान हैं। कमी तो उस मुहाल में है कि कुदरत से तअल्लुक की उसमें सलाहियत नहीं।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 8*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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