_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 095)*_
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*आखिरत और हश्र का बयान*
*☝️(28) जब सारी निशानिया पूरी हो जायेंगी और मुसलमानों की बगलों के बीच से वह खुश्बूदार हवा गुज़र लेगी जिस से सारे मुलसमान वफ़ात पायेंगे तो उसके बाद फ़िर चालीस साल का ज़माना ऐसा गुजरेगा कि उसमें किसी की औलाद न होगी मतलब यह कि चालीस साल से कम उम्र का कोई न होगा वह एक ऐसा वक्त़ होगा कि हर तरफ काफिर ही काफिर होंगे और अल्लाह कहने वाला कोई न होगा लोग अपने अपने कामों में लगे होंगे कि अचानक हज़रते इस्राफील अ़लैहिस्सलाम सूर फुकेंगे पहले पहले उसकी आवाज़ बहुत धीमी होगी फिर धीरे धीरे बहुत ऊँची हो जायेगी लोग कान लगा कर उसकी आवाज़ सुनेंगे और बेहोश होकर गिरेंगे और फिर मर जायेंगे आसमान , जमीन, पहाड़ , चाँद सूरज , सितारे सूर , इस्राफील और तमाम फ़रिश्ते फना हो जायेंगे | उस वक्त सिवा उसे खुदाये जुलजलाल के कोई न होगा उस वक्त़ वह पूरे जलाल के साथ फ़रमायेगा*
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 34*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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