_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 094)*_
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*आखिरत और हश्र का बयान*
*☝️(27) सूरज का पशिंचम से निकलना : - ' इस निशानी के ज़ाहिर होते ही तौबा का दरवाज़ि बन्द हो जायेगा अगर उस वक्त कोई इस्लाम कबूल करना चाहे तो उस का इस्लाम कबूल नहीं किया जायेगा*
*(28) हज़रत ईसा अ़लैहिस्सलाम की वफ़ात के एक ज़माने के बाद जब क़ियामत कायम होने को सिर्फ चालीस साल बाकी रह जायेंगे तो एक खुश्बूदार ठंडी हवा चलेगी जो लोगों की बगलों से गुजरेगी जिसका नतीजा यह होगा कि मुसलमानों की रूह कब्ज़ हो जायेगी और काफिर ही काफिर रह जायेंगे और उन्ही पर क़यामत काइम होगी यह कुछ निशानियाँ थीं जो बयान की गई इनमें से कुछ तो जाहिर हो चुकीं और कुछ बाकी है*
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 33 34*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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