_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 022)*_
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_*📖मसला - अगली किताबें नबियों को ही जुबानी याद होती लेकिन कुर्आन मजीद का मोजिज़ा है। कि मुसलमानों का बच्चा बच्चा उसको याद कर लेता है।*_
_*☝🏻अक़ीदा :- कुर्आन मजीद की सात किराते हैं। मतलब यह है कि कुर्आन मजीद सात तरीकों से पढ़ा जा सकता है और यह सातों तरीके बहुत ही मशहूर हैं उनमें से किसी जगह मआ़नी में कोई इख्तिलाफ़ नहीं। वह सब तरीके हक है। उसमें उम्मत के लिए आसानी यह है कि जिसके लिए जो किरात आसान हो वह पड़े। और शरीअत का हुक्म यह है कि जिस मुल्क में जिस किरात का रिवाज हो अवाम के सामने वही पढ़ी जाए।*_
_*कुर्आन शरीफ़ पढ़ने के सात क़ारियों के तरीके मशहूर हैं। यह सातों किरात के इमाम माने जाते है।*_
_*1). इब्ने आमिर*_
_*2). इब्ने कसीर*_
_*3). आसिम*_
_*4). नाफ़े*_
_*5). अबू उमर*_
_*6). हमजा*_
_*7). किसाई रहमतुल्लाहि अजमइन हमारे मुल्के हिन्दुस्तान में आसिम की रिवायत का ज्यादा रिवाज है। इसीलिए रिवाज को ध्यान में रखते हुए हिन्दुस्तान में आसिम की रिवायत से ही कुर्आन शरीफ पढ़ा जाता है।*_
_*क्योंकि अगर दूसरी रिवायत पढ़ी जाए तो लोग ना समझी में क़ुर्आन की आयत का इन्कार कर देंगे और यह कुफ़्र है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 14*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा & (टीम)*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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