_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 027)*_
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_*☝🏻अकीदा :- अम्बिया, अलैहिमुस्सलाम शिर्क से, कुफ़्र से और हर ऐसी चीज से पाक और मासूम हैं। जिस से मखलूक को नफ़रत हो जैसे झूट, खियानत और जिहालत वगैरा बुरी सिफतें।*_
_*और ऐसे कामों से भी पाक हैं जो उनके नुबुव्वत से पहले और नुबुव्वत के बाद वजाहत और मुरव्वत के खिलाफ है। इस पर सबका इत्तिफाक है। और कबीरा गुनाहों से भी सारे नबी बिल्कुल पाक और मासूम हैं।*_
_*और हक तो यह है कि नुबुव्वत से पहले और नुबुब्बत के बाद नबी सगीरा गुनाहों के इरादे से भी पाक और मासूम हैं।*_
_*☝🏻अकीदा :- अल्लाह तआला ने नबियों पर बन्दों के लिए जितने अहकाम नाजिल किए वह सब उन्होंने पहुँचा दिए। अगर कोई यह कहे कि किसी नबी ने किसी हुक्म को छुपा रखा तकिय्या यानी डर की वजह से नहीं पहुँचाया वह काफ़िर है क्योंकि तबलीगी अहकाम में नबियों से भूल चूक मुमकिन नहीं। ऐसी बीमारियाँ जिनसे नफरत होती है जैसे कोढ़, बर्स और जुजाम वगैरा से नबी के जिस्म का पाक होना जरूरी है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 15*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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