_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 028)*_
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_*☝🏻अकीदा :- इल्मे गैब के बारे में अहले सुन्नत का मज़हब और मसलक यह है कि अल्लाह तआला ने नबियों को अपने गैबों पर इत्तिला दी। यहाँ तक कि जमीन और आसमान का हर ज़र्रा हर नबी के सामने है। इल्मे गैब दो तरह का है एक इल्मे जाती और दूसरा इल्मे गैब अताई।*_
_*इल्मे गैब जाती सिर्फ अल्लाह तआला ही को है और इल्में गैब अताई नबियों और वलियों को अल्लाह तआला के देने से हासिल होता है। अताई इल्म अल्लाह तआला के लिए नामुमकिन और मुहाल है।*_
_*क्योंकि अल्लाह तआला की कोई सिफत या कमाल चाहे उसका सुनना, देखना, कलाम, ज़िन्दगी और मौत देना वगैरा सिफतें किसी की दी हुई नहीं हैं बल्कि जाती हैं।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 15/16*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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