_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 097)*_
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*आखिरत और हश्र का बयान*
*☝️अक़ीदा : - क़यामत बेशक काइम होगी और इसका इन्कार करने वाला काफिर है*
*अक़ीदा : - हुश्र सिर्फ रूह का ही नहीं होगा बल्कि रूह और जिस्म दोनों का होगा अगर कोई यह कहे कि रूहें उठेंगी और जिस्म ज़िन्दा नहीं होंगे तो वह भी गुमराह और बद्दीन है दुनिया में जो रूह जिस जिस्म के साथ थी उस रूह का हश्र उसी जिस्म के साथ होगा ऐसा नहीं होगा कि कोई नया जिस्म पैदा कर के उसके साथ रूह लगा दी जाये*
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 34*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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