_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 029)*_
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_*और नबियों की सिफतें या उनका इल्म जाती नहीं। जो लोग यह कहते हैं कि नबी अलैहिस्सलाम को किसी तरह का इल्में गैब नहीं वह कर्आन शरीफ की इस आयत के मुताबिक है।*_
_*📝तर्जमा :- कुर्आन शरीफ की कुछ बातें मानते हैं और कुछ का इन्कार करते हैं। वह आयतें देखते हैं। जिनसे इसे गैब की नफी मालूम होती है क्योंकि वह लोग उन आयतों को देखते और मानते हैं जिनसे नबियों से इल्में गैब की नफी का पता चलता है। और उन आयतों का इन्कार करते हैं जिनमें नबियों को इल्मे गैब दिया जाना (अता किया जाना) बयान किया गया है जब कि नफी (इल्मे गैब से इन्कार) और इसबात (इल्मे गैब का सुबूत) दोनों हक़ हैं। वह इस तरह कि नफ़ी इल्मे जाती की है क्यूंकि यह उलूहियत यानी अल्लाह तआला के लिए खास है और इसबात इल्में गैब अताई का है कि यह नबियों की ही शान और उन्हीं के लाइक है और उलूहियत के खिलाफ है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 16*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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