_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 059)*_
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_*☝🏻अक़ीदा - फिरिश्तों के जिम्मे अलग अलग काम हैं। कुछ वह है कि जिनके जिम्मे नबियों के पास 'वही’ लाने का काम किया गया। कोई पानी बरसाता कोई हवा चलाता है कोई रोजी पहुँचाता है। कोई माँ के पेट में बच्चे की सूरतें बनाता है कोई इन्सान के बदन में कमी बेशी करता है कुछ वह फिरिश्ते हैं जो इन्सान की दुश्मनों से हिफाजत करते हैं। कुछ वह हैं जो अल्लाह व रसूल का जिक्र करने वालों के मजमे को तलाश करके उस मजमे में हाज़िर होते हैं। किसी के मुतअल्लिक इन्सान के आमाल नामा लिखने का काम कुछ वह हैं जो सरकारे रिसालत अलैहिस्सलाम के दरबार में हाजिरी देने का काम करते हैं। किसी के मुतअल्लिक सरकार की बारगाह में मुसलमानों की सलातु सलाम पहुँचाने का काम है। किसी के जिम्मे मुर्दों से सवाल करने का काम है कोई रूह कब्ज करता है। कुछ अज़ाब देने का काम करते हैं। किसी के जिम्मे सूर फ़ुंकने का काम है। इनके अलावा और भी बहुत से काम हैं जो फ़िरिश्ते अन्जाम देते हैं। इसके बावजूद यह फिरिश्ते न तो कदीम हैं और न खालिक। बल्कि सब मखलूक हैं। फ़िरिश्तों को कदीम या खालिक मानना कुफ़्र है। फिरिश्ते न मर्द हैं न औरत।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 25*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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