_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 041)*_
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_*☝🏻अक़ीदा :- हुजूर खातमुन्नबीय्यीन हैं अल्लाह तआला ने नुबुव्वत का सिलसिला हुजूर पर खत्म कर दिया। हुजूर के जमाने में या उनके बाद कोई नबी नहीं हो सकता जो कोई हुजूर के जमाने में या उनके बाद किसी को नुबुवत मिलना माने या जाइज समझे वह काफिर है।*_
_*☝🏻अक़ीदा :- अल्लाह तआला की तमाम मखलूकात से (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) अफजल हैं। कि औरों को अलग अलग जो कमालात दिए गए हुजूर में वह सब इकट्टा कर दिए गए और उनके अलावा हुजूर को वह कमालात मिले जिन में किसी का हिस्सा नहीं बल्कि औरों को जो कुछ मिला हुजूर के तुफैल में बल्कि हुजूर के मुबारक हाथों से मिला और 'कमाल' इसलिए कमाल हुआ कि कमाल हुजूर की सिफत है और हुजूर अपने रब के करम से अपने नफ्से जात में कामिल और अकमल हैं । हुजूर का कमाल किसी वस्फ से नहीं बल्कि उस वस्फ का कमाल है कि कामिल (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) की सिफत बनकर खुद कमाल, कामिल और मुकम्मल हो गया कि जिसमें पाया जाए उसको कामल बना दे।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 19*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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