_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 014)*_
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_*☝🏻अकीदा :- अल्लाह ﷻ जो चाहे और जैसे चाहे करे उस पर किसी को काबू नहीं और न कोई अल्लाह तआला को उसके इरादे से रोक सकता है। न वह ऊंघता है और न ही उसे नींद आती है। वह तमाम जहानों का निगेहबान है। वह न थकता है और न उकताता है।*_
_*वही सारे आलम का पालनहार है। माँ बाप से ज्यादा मेहरबान और हलीम है। अल्लाह ﷻ ही की रहमत टूटे हुए दिलों का सहारा है। और उसी के लिए बढ़ाई और अजमत हैं। माँओं के पेट में जैसी चाहे सूरत बनाने वाला वही है।*_
_*आल्लाह ﷻ ही गुनाहों का बख्शने वाला तौबा कबूल करने वाला और कहर और गजब फरमाने वाला है। और उसकी पकड़ ऐसी कड़ी है कि बिना उसके छुड़ाये कोई छूट ही नहीं सकता। अल्लाह ﷻ चाहे तो छोटी चीजों को बड़ी कर दे और फैली चीजों को समेट दे। वह जिसको चाहे ऊंचा कर दे और जिसको चाहे नीचा वह चाहे तो जलील को इज्जत दे और इज्जत वाले को जलील कर दे जिसको चाहे सीधे रास्ते पर लाये और जिसे चाहे सीधे रास्ते से अलग कर दे। जिसे चाहे अपने से करीब बना ले और जिसे चाहे मरदूद कर दे। जिसे जो चाहे दे और जिससे जो चाहे छीन ले। वह जो कुछ करता है या करेगा वह इन्साफ है और वह जुल्म से पाक व साफ है। अल्लाह हर बलन्द से बलन्द है। यहां तक कि उसकी बलन्दी की कोई थाह नहीं। वह सबको घेरे हुए है उसको कोई घेर नहीं सकता।*_
_*फ़ायदा और नुकसान उसी के हाथ में है। मजलूम की फ़रयाद को पहुँचता है। और ज़ालिम से बदला लेता है। उसकी मशीयत और इरादे के बगैर कुछ नहीं हो सकता वह भले कामों से खुश और बुरे कामों से नाराज होता है।*_
_*अल्लाह ﷻ की रहमत है कि वह ऐसे कामों का हुक्म नहीं करता जो हमारी ताकत से बाहर हों। अल्लाह तआला पर सवाब या अजाब या बन्दे के साथ मेहरबानी या बन्दे जो अपने लिए अच्छा जाने वह अल्लाह के लिए वाजिब नहीं। वह मालिक है जो चाहे करे और जो चाहे हुक्म दे।*_
_*हाँ अल्लाह ने अपने करम से अदा फरमा लिया है कि मुसलमानों को जन्नत में और काफिरों को जहन्नम में दाखिल करेगा। और उसके वअ्दे और वईद कभी बदला नहीं करते उसका यह भी वअ्दा है कि कुफ्र के सिवा हर छोटे बड़े गुनाहों को जिसे चाहे मुआफ़ कर देगा।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 11*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी!*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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