_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 050)*_
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_*नबी से महब्बत*_
_*2) एक दूसरी हदीस यह है कि हिजरत के वक्त पहते खलीफा हज़रते अबूबक्र रदियल्लाहू तआ़ला अन्हु हुजूर के साथ थे। रास्ते में "गारे सौर मिला। गारे सौर में हजरत अबूबक्र पहले गए देखा गार में बहुत से सुराख हैं। उन्होंने अपने कपड़े फाड़ फाड़ कर गार के सूराख बन्द किए इत्तिफ़ाक से एक सूराख बाकी रह गया उन्होंने उस सूराख में अपने पाँव का अँगूठा रख दिया फिर हुज़ूर (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) को बुलाया सरकार तशरीफ ले गये और हज़रते अबूबक्र सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु के जानू पर सर रखकर आराम फरमाने लगे। उधर अंगूठे वाले सूराख में एक ऐसा सांप था जो सरकार की जियारत के लिए बहुत दिनों से बेताब था। उसने अपना सर हजरते सिद्दीक के अंगूठे पर रगड़ा लेकिन इस ख्याल से कि हुजूर के आराम में फर्क न आए पाँव को नहीं हटाया। आखिरकार उस सांप ने काट लिया। सांप के काटने से हुज़ूर सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु तआला अन्हु को बहुत तकलीफ हुई। यहाँ तक कि हज़रते अबूबक की आखों में आँसू आ गए और आंसूओं के कतरे हुजूर के चेहरए अनवर पर गिरे। सरकार ने आंखे खोल दी। हजरते अबूबक्र ने सरकार से अपनी तकलीफ और सांप के काटने का हाल बताया हुजूर ने तकलीफ की जगह पर अपना लुआबे दहन लगा दिया। लुआबे दहन लगाते ही उन्हें आराम मिल गया लेकिन हर साल उन्हीं दिनों में साँप के जहर का असर जाहिर होता था बारह बरस के बाद उसी जहर से हजरते अबूबक्र की शहादत हुई।*_
_*साबित हुआ कि जुमला फ़ाइज फूरूअ् हैं।*_
_*असलुल उसूल बन्दगी उस ताजवर की हैं।*_
_*🖋आलाहजरत रदियल्लाहु तआला अन्हु*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 22*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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