_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 113)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया है कि मेरी उम्मत से सत्तर हज़ार बे हिसाब जन्नत में दाखिल होंगे । और उनके तुफैल वसीले से हर एक के साथ सत्तर हज़ार । और अल्लाह तआ़ला तीन जमाअ़तें और देगा । जिनकी गिनती के बारे में वही जाने । तहज्जुद पढ़ने वाले बिना हिसाब जन्नत में जायेंगे हुजूर की उम्मत में ऐसा आदमी भी होगा जिनके निन्नानवे के दफ्तर गुनाहों होंगे और हर दफ्तर इतना होगा जहाँ तक निगाह पहुँचे और वह सब दफ़रत खोले जायेंगे । फिर अल्लाह पूछेगा कि इनमें से तुम्हें किसी बात का इन्कार तो नहीं है? मेरे फरिश्ते किरामन कातिबीन ' ने तुम पर जुल्म करते हुए ग़लत बातें तो नहीं लिख दी ? या तेरे पास कोई बहाना तो नहीं ? तो वह अपने रब के सामने अपने गुनाहों को तस्लीम करेगा । अल्लाह तआ़ला फरमायेगा कि हाँ तेरी एक नेकी हमारे सामने है और उसी की वजह से आज तुझे नजात मिलेगी ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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