_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 114)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*फिर एक पर्चा निकाला जायेगा जिस पर लिखा होगा कि*_
📖 _*तर्जमा : - मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं और बेशक मुहम्मद सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम उसके बन्दे और उसके रसूल हैं ।*_
_*और अल्लाह उसे हुक्म देगा कि जाओ मीज़ान पर उन दफतरों के सामने इस पर्चे को रख कर तौल करा लो । वह कहेगा कि या अल्लाह उन दफतरों के सामने यह पर्चा क्या हक़ीक़त रखता है । अल्लाह फरमायेगा कि तेरे साथ इन्साफ किया जायेगा । फिर एक पल्ले पर वह सब दफ़तर रखे जायेंगे और एक में वह पर्चा अल्लाह की मर्जी से वह पर्चे वाला पल्ला दफ़तरों से भारी हो जायेगा । यह उसकी रह़मत है और उसकी रह़मत की कोई थाह नहीं । वह रहम फ़रमाए तो थोड़ी चीज़ भी बहुत है ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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