_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 115)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*अक़ीदा : - क़ियामत के दिन हर एक को उसका ' आमालनामा दिया जायेगा । जो नेक होंगे उनके दाहिने और जो गुनाहगार होंगे उनके बायें हाथ में और जो काफ़िर होंगे उनका सीना तोड़ कर उनका बायाँ हाथ पीछे निकाल कर पीठ के पीछे दिया जायेगा।*_
_*अक़ीदा : - हक़ बात यह है कि ' हौज़े कौस़र हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम को दिया गया है । उस हौज़ की लम्बाई चौड़ाई इतनी है कि जैसे एक महीने का रास्ता हो । इस महीने के बारे में नहीं बताया जा सकता कि महीने का मतलब क्या है। हौज़ के किनारे पर मोती के कुब्बे हैं । उसकी मिट्टी बहुत खुश्बूदार मुश्क की है । उसका पानी दूध से ज़्यादा सफ़ेद और शहद से ज़्यादा मीठा है । उस पर बरतन इतने ज़्यादा हैं कि जैसे सितारे अनगिनत होते हैं । उसमें सोने और चाँदी के दो जन्नती परनाले हर वक़्त गिरते रहते हैं।*_
_*अक़ीदा : - मीज़ान हक़ है उस पर लोगों के अच्छे बुरे आमाल तौले जायेंगे । दुनिया में पल्ला भारी होने का मतलब यह होता है कि नीचे को पल्ला झुकता है । लेकिन वहाँ उस का उल्टा होगा और जिसका पल्ला भारी होगा ऊपर को उठ जायेगा।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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