_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 131)*_
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_*दोज़ख का बयान*_
_*जहन्नम की आग हजार बरस तक धैंकाई गई यहाँ तक कि बिल्कुल लाल हो गई । फिर हज़ार बरस और जलाई गई यहाँ तक कि सफेद हो गई । उस के बाद फिर हज़ार साल जलाई गई यहाँ तक कि बिल्कुल काली हो गई और अब वह बिल्कुल काली है और उस में रौशनी का नामो निशान नहीं ।*_
_*जहन्नम का हाल बताते हुए हज़रते जिबील अ़लैहिस्सलाम ने हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम से कसम खा कर कहा । कि अगर जहन्नम से एक सुई के नाके के बराबर खोल दिया जाये तो जमीन के सारे बसने वाले उसकी गर्मी से मर जायें।*_
_*और इसी तरह यह भी कहा कि अगर जहन्नम का कोई दारोगा दुनिया वालों के सामने आ जाये तो उसकी डरावनी सूरत के डर से सब के सब मर जायें । और उन्हों ने यह भी बताया कि अगर जहन्नमियों के जंजीर की एक कड़ी दुनिया के पहाड़ पर रख दी जाये तो थरथर कांपने लगे और यह पहाड़ जमीन तक धंस जायें ।*_
_*दुनिया की यह आग जिसकी गर्मी और तेज़ी को सब जानते हैं कि कुछ मौसमों में उसके पास जाना भी दूभर होता है फिर भी यह आग खुदा से दुआ करती है कि या अल्लाह ! हमें जहन्नम में फिर न भेज देना लेकिन तअज्जुब की बात यह है कि इन्सान जहन्नम में जाने का काम करता है और उस आग से नहीं डरता जिससे आग भी पनाह माँगती है ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 44/45*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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