_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 132)*_
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_*दोज़ख का बयान*_
_*दोज़ख की गहराई के बारे में कुछ नहीं बताया जा सकता फ़िर भी हदीसों के देखने से पता चलता है कि अगर पत्थर की चट्टान जहन्न्म के किनारे से उस की गहराई में फेंकी जाये तो सत्तर बरस में भी तह तक न पहूँचेगी ।*_
_*जब के इन्सान के सर के बराबर सीसे का गोला अगर आसमान से ज़मीन को फेंका जाये तो रात आने से पहले पहले ज़मीन तक पहुँच जायेगा । हालाँकि आसमान से ज़मीन तक पाँच सौ साल तक का रास्ता है । फिर उसमें अलग अलग तबके वादियाँ और कूचे हैं । कुछ वादियाँ ऐसी भी हैं कि जिनसे जहन्नम भी हर रोज़ सत्तर बार पनाह माँगता है ।*_
_*अब आप अन्दाज़ा लगाईये कि जहन्नम की गहराई क्या होगी । जहन्म जैसे डरावने घर में अगर और कुछ अज़ाब न होता फिर भी यह बहुत बड़ी सज़ा और तकलीफ की जगह थी लेकिन जहन्नम में काफिरों के लिये अलग अलग सज़ायें भी हैं जैसा कि बताया गया अब कुछ और जहन्नम का हाल और उसके अज़ाब लिखे जा रहे हैं ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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