_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 130)*_
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_*दोज़ख का बयान*_
_*दोज़ख एक ऐसा मकान है जो अल्लाह तआ़ला की शाने जब्बारी और जलाल की मज़हर ( जा़हिर करने वाली ) है । जिस तरह अल्लाह की रहमत और नेमत की कोई हद नहीं कि इन्सान शुमार नहीं कर सकता और जो कुछ इन्सान सोचता है वह शुम्मह ( ज़र्रा ) बराबर भी नहीं , उसी तरह उसके गज़ब और जलाल की कोई हद नहीं । इन्सान जिस कद्र भी दोज़ख की आफ़तों मुसीबतों और तकलीफों को सोच सकता है वह अल्लाह के अज़ाब का एक बहुत छोटा सा हिस्सा होगा । कुर्आन व अहादीस में जो दोज़ख के अज़ाब का बयान है उसमें से कुछ बातें ज़िक्र क की जाती हैं मुसलमान देखें और दोज़ख से पनाह माँगें । हदीस शरीफ में है कि जो बन्दा जहन्नम से पनाह माँगता है जहन्नम कहता है कि ऐ रब ! यह मुझ से पनाह माँगता है तू इसको पनाह दे । कुर्आन शरीफ में कई जगहों पर आया है कि जहन्नम से बचो और दोज़ख से डरो । हमारे सरकार हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम हमें सिखाने के लिए ज़्यादा तर जहन्नम से पनाह माँगा करते थे ।जहन्नम का हाल यह होगा कि उसकी चिंगारियाँ ऊँचे ऊँचे महलों के बराबर इस तरह उड़ेंगी कि जैसे ज़र्द ऊँटों की कतारें लगातार आ रही हों । पत्थर , आदमी जहन्नम के ईधन हैं । दुनिया की आग जहन्नम की आग के सत्तर हिस्सों में उसे एक हिस्सा है । जिस जिस जहन्नमी को सब से कम दर्जे का अज़ाब होगा उसे आग की जूतियाँ पहनाई जायेंगी जिससे उसके सर का भेजा ऐसा खौलेगा जैसे तांबे की पतीली खौलती है और वह यह समझेगा कि सब से ज़्यादा अज़ाब उसी पर हो रहा है जबकि यह हल्का अज़ाब है जिस पर सब से हल्के दर्जे का अज़ाब होगा उस से अल्लाह तआ़ला पूछेगा कि अगर सारी ज़मीन तेरी हो जाये तो क्या तू इस अज़ाब से बचने के लिए सारी ज़मीन फ़िदये में दे देगा ? वह जवाब देगा कि हाँ हाँ मैं दे दूँगा । फिर अल्लाह तआ़ला इरशाद फरमायेगा कि ऐ बन्दे मैंने तेरे लिये बहुत आसान चीज़ का हुक्म उस वक्त दिया था जब कि तू आदम की पीठ में था लेकिन तू न माना ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 44*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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