_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 133)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
_*दोज़ख का बयान*_
_*काफिरों को फरिश्ते लोहे के ऐसे ऐसे भारी गुर्जो से मारेंगे कि अगर कोई गुर्ज़ ज़मीन पर रख दिया जाये और उसे दुनिया के सारे इन्सान और जिन्नात मिलकर एक साथ उठाना चाहें तो न उठा सकें जहन्नम में बहुत बड़े बड़े साँप और बुख़्ती ऊँट के बराबर बिच्छू होंगे जो अगर एक बार काट लें तो उस से दर्द , जलन और बेचैनी हज़ार साल तक रहे । बुख़्ती ऊँट ऐसे ऊँट कहलाते हैं जो हर तरह के ऊँटों से बड़े होते हैं ।*_
_*जहन्नमियों को तेल की जली हुई तलछट की तरह बहुत खौलता हुआ पानी पीने को दिया जायेगा कि जैसे ही उस पानी को मुँह के करीब ले जायेंगे उसकी गर्मी और तेज़ी से चेहरे की खाल जल कर गिर जायेगी । सर पर वह गर्म पानी बहाया जायेगा । और जहन्नमिया के बदन से निकली हुई पीप उन्हें पिलाई जायेगी । काँटेदार थूहड़ उन्हें खाने को दिया जायेगा ।*_
_*वह ऐसा होगा कि अगर उसकी एक बूंँद दुनिया में आ जाये तो उस की जलन और बदबू से सारी दुनिया का रहन सहन बरबाद हो जाये । जहन्नमी जब थूहड़ को खायेंगे तो उनके गले में फँस जायेगा । उसे उतारने के लिये जब वह पानी मांगेंगे तो उन्हें वही पानी दिया जायेगा जिस का ज़िक्र पहले किया जा चुका है ।*_
_*वह तलछट की तरह पानी पेट में जाते ही आंतों के टुकड़े टुकड़े कर देगा और आँतें शोरबे की तरह बह कर कदमों की तरफ निकलेंगी । प्यास इस बला की होगी कि जहन्नमी उस पानी पर भी ऐसे गिरेंगे जैसे ' तौंस ' के मारे हुए ऊँट गिरते हैं ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment