_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 117)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*लोगों के जैसे अच्छे या बुरे काम होंगे उसी तरह पुल सिरात के पार करने के ढंग भी होंगे । बाज़ तो ऐसी तेज़ी के साथ गुजरेंगे जैसे बिजली का कौंदा कि अभी चमका और अभी गायब हो गया और बाज़ तेज़ हवा की तरह कोई ऐसे जैसे कोई परिन्द उड़ता है और कुछ जैसे घोड़ा दौड़ता है और बाज़ जैसे आदमी . दौड़ता है यहाँ तक कि बाज़ चूतड़ों के बल घिसटते हुये और कुछ चींटी की तरह रेंगते हुये पुल सिरात ' को पार करेंगे । पुलसिरात के दोनों तरफ़ बड़े बड़े आंकड़े लटकते , होंगे । अल्लाह ही जाने वह कितने बड़े होंगे जिसके बारे में अल्लाह का हुक्म होगा उसे पकड़ लेंगे । इनमें से कुछ ज़ख्मी होकर बच जायेंगे । और कुछ जहन्नम में गिराये जायेंगे और हलाक होंगे। इधर तमाम महशर वाले तो पुल पार करने में लगे होंगे मगर वह बे गुनाह गुनाह गारों का शफी पुल के किनारे खड़ा हुआ अपनी उम्मत के गुनाहगारों के लिए गिरया - ओ - जारी कर के यह दुआ कर रहा होगा ।*_
📖 _*तर्जमा : - " इलाही इन गुनाहगारों को बचा ले बचा ले ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 39*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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