_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 118)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*उस दिन हुजूर किसी एक ही जगह पर नहीं ठहरेंगे बल्कि कभी मीज़ान पर होंगे और जिसकी नेकियों में कमी देखेंगे उसकी शफाअ़त करके उसे नजात दिलायेंगे । कभी हौजे कौसर पर प्यासों को सैराब करते हुये नज़र आयेंगे और आन की आन में फ़िर पुल पर । गरज़ हर जगह उन्हीं की पहुँच होगी । हर एक उन्हीं की दुहाई देगा । उन्हीं से फरियाद करता होगा और उनके सिवा पुकारा भी किसको जा सकता है क्यों कि हर एक को अपनी पड़ी होगी । सिर्फ सरकार ही की जा़त ऐसी है कि जिन्हें अपनी कोई फिक्र नहीं बल्कि सारे आलम का बोझ उन्हीं पर है । दूरूद हो उन पर*_
_*📝तर्जमा : - " अल्लाह तआ़ल उन पर रह़मत नाज़िल फ़रमाये और उनकी औलाद और उनके असहाब पर । ( उन्हें ) बरकत और सलामती दे । ऐ अल्लाह ! हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम के वसीले से हमको हश्र की मुसीबतों से नजात दे । और उन पर उनकी औलाद और उनके असहाब पर अफज़ल दुरूद और सलाम , और रहमत नाज़िल कर , आमीन*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 39*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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