_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 110)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
☝ _*अकी़दा : - हिसाब किताब हक़ है और हर अच्छे बुरे कामों का हिसाब होगा ।*_
☝ _*अकी़दा : - जो हिसाब का इन्कार करे वह काफिर है किसी से इस तरह हिसाब लिया जायेगा कि उससे चुपके से पूछा जायेगा कि तूने यह किया और यह किया । अर्ज करेगा ऐ रब यहाँ तक कि तमाम गुनाहों का इकरार लेलेगा अब यह अपने दिन में समझेगा कि अब गये फरमायेगा कि हम ने दुनिया में तेरे ऐब छुपाये और अब बख्शते हैं और किसी से सख्ती के साथ एक एक बात पूछी जायेगी।*_
_*जिससे इस तरह सवाल होगा उसकी हलाकत सामने है।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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