_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 134)*_
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_*दोज़ख का बयान*_
_*काफ़िर जब जहन्नम की मुसीबतों और तकलीफ़ों से अपनी जान से अजिज़ आजायेंगे तो आपस में राय करके हज़रत मालिक ( अलैहिस्सलातु वस्सलाम ) को पुकारते हुए फरयाद करेंगे कि ऐ का मालिक ! तेरा रब हमारा किस्सा तमाम कर दे ।लेकिन वह हजार बरस तक कोई जवाब न देंगे । हज़ार साल के बाद कहेंगे कि तुम मुझ से क्या कहते हो उससे कहो जिसकी तुमने नाफरमानी की है ।*_
_*फिर वह अल्लाह को उसके रह़मत भरे नामों से हज़ार साल तक पुकारेंगे । वह भी हजार साल तक जवाब न देगा । उसके बाद फरमायेगा कि दूर हो जाओ जहन्नम में पड़े रहो मुझ से बात न करो । फिर यह काफिर हर तरह की भलाईयों से नाउम्मीद हो कर गधों की तरह रोना और चिल्लाना शुरू करेंगे । पहले आँसू निकलेंगे और जब आँसू खत्म हो जायेंगे तो खून के आँसू रोयेंगे रोते रोते उन के गालों में खन्दकों की तरह गढे पड़ जायेंगे ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45/46*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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