_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 135)*_
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_*दोज़ख का बयान*_
_*उन के रोने से खून और पीप इतना। निकलेगा कि अगर उस में कश्तियाँ डाल दी जायें तो वह भी चलने लगें । जहन्नमियों की सूरतें ऐसी बुरी होंगी कि अगर कोई जहन्नमी अपनी उसी सूरत के साथ इस दुनिया में लाया जाये तो उसकी सूरत और उसकी बदबू से तमाम लोग मर जायें और उनका बदन इतना बड़ा कर दिया जायेगा कि उन के एक मोंढे से दूसरे मोंढे तक की दूरी तेज़ सवार के लिये तीन दिन होगी ।*_
_*एक एक दाढ़ उहुद पहाड़ के बराबर होगी । उनके बदन की खाल की मोटाई ' बियालीस ज़िराअ ' 42 हाथ , या 42 गज़ की होगी । उनकी जुबानें एक दो कोस तक मुँह से बाहर घसिटती होंगी कि लोग उन्हें रौंदते हुए चलेंगे । बैठने की जगह इतनी होगी कि जैसे मक्के से मदीने तक और वह जहन्नम में मुँह सिकोड़े हुए होंगे । उन के ऊपर का होंट सिमट कर बीच सर को पहुँच जायेगा और नीचे का लटक कर नाफ तक आ जायेगा । इन मजामीन से यह पता चलता है । कि जहन्नम में काफ़िरों की सूरत इन्सानों जैसी न होगी इसलिए कि इन्सान की सूरत को अहसने तकवीम , कहा गया है और अल्लाह को इन्सान की सूरत इसलिए पसन्द है कि आदमी की सूरत उस के महबूब सल्लल्लाहु तआला अ़लैहि वसल्लम से कुछ न कुछ मिलती जुलती है इसलिए अल्लाह ने जहन्नमियों की सूरत को आदमियों की सूरत से अलग कर दिया है ।*_
_*आखिर में काफ़िरों के लिए यह होगा कि उनमें से हर एक को उनके कद के बराबर आग के सन्दूक में बन्द किया जायेगा सन्दूक में आग भड़काई जायेगी और आग का ताला लगाया जायेगा फिर उस बक्स को आग के एक दूसरे सन्दूक में रखा जायेगा और उन दोनों के बीच आग जलाई जायेगी और उस दूसरे सन्दूक में भी आग का ताला लगाया जायेगा फिर उस बक्स को एक तीसरे आग के सन्दूक में डाला जायेगा और उसे भी आग के ताले में बन्द किया जायेगा और आग में डाल दिया जायेगा अब हर एक काफ़िर यह समझेगा कि उस के सिवा अब कोई भी आग में नहीं रहा । और यह अज़ाब तमाम अज़ाबों से बड़ा है और अब हमेशा उस के लिए अजाब ही अज़ाब है ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 46*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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