_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 129)*_
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_*जन्नत का बयान*_
_*फिर वहाँ से अपने अपने मकानों को वापस आयेंगे । उनकी बीवियाँ उनका इस्तिकबाल करेंगी और मुबारक बाद देकर कहेंगी कि आपका जमाल यानी खुबसूरती पहले से भी कहीं ज़्यादा बढ़ गई है । वह जवाब देंगे चुंकि हमें अल्लाह के दरबार में हाज़िरी नसीब हुई इसलिए हमें ऐसा ही होना चाहिए । जन्नती बाज़ आपस में एक दूसरे से मिलना चाहेंगे तो इसके दो तरीके होंगे । एक यह कि एक का तख्त दूसरे के पास चला जायेगा । दूसरी सूरत यह होगी कि जन्नतियों को बहुत अच्छे किस्म की सवारियाँ जैसे घोड़े वगैरा दिये जायेंगे कि उन पर सवार होकर जब चाहें और जहाँ चाहें चले जायेंगे । सबसे कम दर्जे का वह जन्नती है कि उसके बाग बीवियाँ , खादिम और तख्त इन्नने ज़्यादा होंगे कि हज़ार बरस के सफर की दूरी तक यह तमाम चीजें फैली हुई होंगी । उन जन्नतियों में*_ _*अल्लाह के नज़दीक सबसे , इज्जत वाला वह है जो उसका दीदार हर सुबह और शाम करेगा । जन्नती जब जन्नत में पहुँच जायेंगे और जन्नत की नेमतें उनके सामने होंगी और जन्नत में चैन आराम को जान जायेंगे तो अल्लाह तबारक व तआ़ला उनसे पूछेगा कि क्या कुछ और चाहते हो ? तो - वह कहेंगे कि या अल्लाह तुने हमारे चेहरे सौशन किये जन्नत में दाखिल किया और जहन्नम नजात दी उस वक्त़ मखलूक पर पड़ा हुआ पर्दा उठ*_ _*जायेगा और उन्हें अल्लाह का दीदार नसीब होगा । दीदारे इलाही से बढ़ कर कोई चीज़ नहीं*_
📝_*तर्जमा : - " या अल्लाह ! हमको अपने महबूब सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम जो रऊफ ओ रहीम हैं उनके वसीले से अपना दीदार नसीब फरमा । आमीन !*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 43/44*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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