_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 128)*_
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_*जन्नत का बयान*_
_*खुदा का दीदार ऐसा साफ होगा जैसे सूरज और चौदहवीं रात के चाँद को हर एक अपनी जगह से देखता है । अल्लाह की तजल्ली हर एक जन्नती पर होगी । अल्लाह तआ़ला उन जन्नतियों में से किसी को उसके गुनाह याद दिलाकर फरमायेगा । कि ऐ फलों का लड़के फलाँ तुझे याद है कि जिस दिन तूने ऐसा ऐसा किया था ? बन्दा जवाब देगा कि ऐ मेरे अल्लाह क्या तूने मुझे बख़्श नहीं दिया था ? अल्लाह फरमायेगा कि हाँ मेरी मगफिरत की वुसअ़त की वजह ही से तू इस मर्तबे को पहुंचा है । वह सब इसी हालत में होंगे कि बादल छा जायेंगे और उन पर ऐसी खुश्बू की बारिश होगी कि उन लोगों ने ऐसी , खुश्बु कभी न पाई होगी । फिर अल्लाह फरमायेगा कि उस तरफ जाओ जो मैंने तुम्हारे लिए इज्जत तैयार कर रखी है । उसमें से जो चाहो ले लो । लोग फिर एक ऐसे बाज़ार में पहुँचेंगे जिसे फ़रिश्तों ने घेर रखा होगा और उनमें ऐसी चीजें होंगी कि न तो आँखों ने देखा होगा न कानों ने सुना होगा और न उन चीज़ों का कभी किसी ने ध्यान किया होगा । जन्नती उस में से जो चीज़ पसन्द करेंगे उनके साथ कर दी जायेगी । जन्नती जब आपस में एक दूसरे से मिलेंगे और छोटे रूतबे वाला बड़े रूतबे वाले के लिबास को देख कर पसन्द करेगा तो अभी बातें खत्म भी न होंगी कि छोटे मरतबे वाला अपने कपड़े को बड़े मरतबे वाले से अच्छा समझने लगेगा यह इसलिए कि जन्नत में किसी के लिए गम नहीं ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 43*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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