_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 120)*_
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_*आखिरत और हश्र का बयान*_
_*अब तक तो हश्र के मुखतसर हालात बताये गये । और उन तमाम कामों के बाद हमेशा के लिए जन्नत या जहन्नम ठिकाना होगा । किसी को आराम का घर मिलेगा जिस में आराम की कोई थाह नहीं , उस आराम के घर को जन्नत कहते हैं । और किसी को तकलीफ़ के घर में जाना होगा जिसे जहन्नम कहते हैं । यह जन्नत और दोज़ख हक हैं । इनका इन्कार करने वाला काफ़िर है*_
☝️ _*अक़ीदा : - अल्लाह तआ़ला ने जन्नत और दोज़ख को हज़ारों साल से भी पहले पैदा किया । और जन्नत और दोज़ख आज भी मौजूद हैं । ऐसा अक़ीदा रखना कि क़ियामत से पहले या क़ियामत के दिन जन्नत और दोज़ख़ बनाये जायेंगे गुमराही और बद्दीनी है ।*_
☝️ _*अक़ीदा : - क़ियामत , बस यानी मौत के बाद जिन्दा होना , हश्र , हिसाब सवाब , अज़ाब , जन्नत और दोज़ख सब का वही मतलब है जो मुसलमानों में मशहूर है । कुछ लोगों ने कुछ नये मतलब गढ़ लिये हैं जैसे सवाब का मतलब अपनी अच्छाईयों को देखकर खुश होना । अज़ाब का मतलब अपने बुरे कामों को देखकर गमगीन होना । या सिर्फ रूहों का हश्र समझना बहुत बड़ी गुमराही और बद्दीनी है ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 40*_
_*अब मुख्तसर तौर पर जन्नत और दोज़ख का हाल लिखा जाएगा*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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