_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 007 📕*_
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_*[आयत :- ].... हमारा रब जल्ला जलालहु इरशाद फरमाता है। कि------*_
_*💎 तर्जुमा :-....तुम फ़रमाओ के अपनी दलील लाओ अगर तुम सच्चे हो।*_
_*📕 तर्जुमा :- कन्जुल इमान, सूरए नम्ल, पारा 20, रूकू 1, आयत नं 64*_
_*✍🏻 [ आयत :-]....और एक दूसरी जगह इरशाद फरमाता है। कि-----*_
_*💎 तर्जुमा :-.... जब सुबूत ना ला सके तो अल्लाह के नज़दीक वही झूठे हैं।*_
_*📕 तर्जुमा :- कुरआने करीम, सूरए नूर, पारा 18, रूकू 8, आयत नं 13*_
_*वहाबियों के यही वोह अक़ाएद [ faith ] है जिनकी वजह से ओलमा-ए-हरमैन तय्यबैन [ मक्का-ए-मुअ़ज़्ज़मा, व मद़ीना शरीफ के ] और दुनिया के तमाम ओलमा-ए-दीन ने वहाबियों को क़ाफ़िर, गुमराह, बद्'दीन, मुरतद, [ दीन से फिरे हुए ] और मुनाफ़िक़ करार दिया।------*_
_*✍🏻 ....उलमा-ए-किराम इन लोगों के बारे में फरमाते है।---*_
_*📚 "जो इन [ वहाबियों ] के क़ाफ़िर होने मे और इनके अ़ज़ाब में शक करे वोह खुद भी क़ाफ़िर है"।---*_
_*📕 हस्सामुल हरमैन*_
_*✍🏻 [ हदीस :-].... हज़रत अबूह़ुरैरा, हज़रत अनस बिन मालिक, हज़रत अब्दुल्लाह बिन ऊमर, व हज़रत जाबिर [रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] रिवायत करते हैं। कि हुज़ूरे अक़दसﷺ ने इरशाद फरमाया----*_
_*👉🏻 "अगर बद़ मज़हब, बेदीन, मुनाफ़िक़ बीमार पड़े तो उनको पूछने न जाओ, और अगर वोह मर जाए तो उनके ज़नाज़े पर न जाओ, उनको सलाम न करो, उनके पास न बैठो, उनके साथ न खाओ न पियो, --- न ही उनके साथ शादी करो--- न उनके साथ नमाज़ पढ़ो,"*_
_*📕 मुस्लिम शरीफ, अबूूदाऊद शरीफ, व इब्ने माज़ा शरीफ, मिश्क़ात शरीफ*_
_*📚 [हदीस :-].... हज़रत इब्ने अ़दी [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] हज़रत मौला अली [रदिअल्लाहो तआला अन्हो] से रिवायत करते है कि हुज़ूर अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया------*_
_*📚 जो मेरी इज़्ज़त न करे और मेरे अन्सारी सहाबा और अ़रब के मुसलमानो का हक़ न पहचाने वोह तीन हाल से खाली नहीं,*_
_*(1)या तो मुनाफ़िक़ है,*_
_*(2)या हराम की औलाद,*_
_*(3) या हैज़ [ माहवारी ] की हालत में जना हुआ।*_
_*📕 बयहक़ी शरीफ, बहवाला इसअ़तुल अ़दब लफ़ाज़िलिन्नसब, सफा नं 46, अज :- आला हज़रत*_
_*📕 [हदीस :-]....हज़रत इकरेमा [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] रिवायत करते हैं। हज़रत मौला अली [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] की ख़िदमत में कुछ बद'दीन, गुस्ताख़, पेश किए गएे तो आपने उन्हें ज़िन्दा जला दिया जब यह खबर इब्ने अब्बास [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] को पहुँची तो उन्होंने ने फरमाया--*_
_*के अगर मै होता तो उन्हें न जलाता क्योंकि रसूलुल्लाह ﷺ ने किसी को जलाने से मना फरमाया है बल्कि उन्हें कत्ल करता कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया----- "जो अपना दीने इस्लाम तब्दील करे उसे कत्ल कर दो"।*_
_*📕 बुखारी शरीफ, जिल्द 3, हदीस नं 1814, सफा नं 658*_
_*💎 [ आयत :-]....अल्लाह जल्ला जलालहु इरशाद फरमाता है-----*_
_*💎 तर्जुमा :-.... ऐ गै़ब की ख़बर देने वाले [ नबी ] जिहाद [ जंग ] फ़रमाओ क़ाफ़िरो, और मुनाफ़िक़ो पर और सख़्ती करो।*_
_*📕 तर्जुमा :- कन्जुल इमान, सूरए तौबा, पारा 10, आयत नं 73*_
_*[आयत :-].... अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है-----*_
_*💎 तर्जुमा :-....और तुम मे से जो कोई उनसे दोस्ती करे वोह उन्हीं मे से है।*_
_*📕 तर्जुमा :- कन्जुल इमान, पारा 6, सूरए माएदह, आयत नं 51*_
_*🔵 ज़रा सोचिए 🔵*_
_*अब भी क्या कोई ग़ैरतमन्द इन्सान अपनी बेटी ऐसे क़ाफ़िरो, मुनाफ़िक़ो के यहाँ ब्याहना पसंद करेगा ?।*_
_*अब भी क्या कोई ग़ुलामे रसूल इन गुस्ताख़ वहाबियों की लड़कियाँ अपने घर लाना गंवारा करेगा?।*_
_*...अब भी क्या कोई आशिके़ नबी अपने नबी के इन गुस्ताख़ो से रिश्ता जोड़ना चाहेगा?।*_
_*हमारा यह सवाल उन लोगों से है। जिनमें ग़ैरत का ज़रा सा भी हिस्सा बाकी है जिन्हें दौलत से ज़्यादा अल्लाह व रसूल की खुशी प्यारी है। और रहे वोह लोग जो किसी दुनियावी लालच या हुस्न व जमामाल या फिर माल व दौलत से मुतास्सिर [ Impres ] होकर वहाबियों से रिश्ता बनाए हुए है या रिश्तेदारी करना चाहते हैं तो उनके मुत्अ़ल्लिक़ ज़्यादा कुछ कहना फ़ुजूल है। वोह अपनी इस हवस व लालच मे जितनी दूर जाना चाहें चले जाए अब इस्लाम का कोई कानून, शरीअ़त की कोई दफअ़, कोई ज़न्जीर उनके इस उठे हुए क़दम को नही रोक सकती। लेकिन हाँ ! हाँ याद रहे यक़ीनन एक दिन अल्लाह औरउसके रसूल को मुँह दिखाना है।*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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