_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 009 📕*_
―――――――――――――――――――――
_*🔵 [ शादी के लिए इस्तेख़ारा ] 🔵*_
_*किसी नये काम को शुरु करने से पहले इस्तेख़ारा करना चाहिए, इस्तेखा़रा उस अमल को कहते है जिसके करने से ग़ैबी तौर पर यह माअ़लूम हो जाता है के फु़ंला काम करने मे फ़ायदा है या नुक़सान । अगर वह काम आपके लिये अच्छा है तो इस्तेखारा की बरकत से गैब से असबाब पैदा हो जाते है! और अगर वह काम आपके लिये बेहतर नही है तो कुदरती तौर पर इंसान इस काम से रुका रहता है!*_
_*इस्तेखा़रा और "शगून" में बहुत फ़र्क़ है इस्तेखा़रा में किसी नये काम शुरू करने में अल्लाह से दुआ़ करना और उसकी मर्ज़ी माअ़लूम करना मक़सद होता है। जबकि शगून जादूगरो, छू- छा करने वाले, सितारों से, परिन्दो से, सिफ्ली इल्म जानने वालो से, नुजूमीयो से ज्योतिषीयों, वगै़रह, और इस तरह की दूसरी चीज़ों के जरिए लेते हैं।*_
_*इसी तरह जादुगर, नुजुमी ज्योतिषी और सिफली इल्म जानने वालो के पास आगे पेश होने वाले हालात जानने के लिये जाना और उनकी बातो पर यकीन करना कुफ्र है!*_
_*📚 [ हदीस :- ]....सरकारे मद़ीना ﷺ ने इरशाद फरमाया-----*_
_*जो किसी काहीन (भवीष्य बताने वाला) के पास जाए और उसकी बात सच्ची समझे तो वह काफीर हुआ उस चिज से जो मुहम्मद मुस्तफा ﷺ पर नाजील हुई!*_
_*📕 अबु दाऊद शरीफ जिल्द नं ३, बाब नं २०३, हदिस नं ५०७*_
_*और फरमाते है नबी ए करीम ﷺ*_
_*जो किसी काहिन के पास जाए और उससे कोई गैब की बात पुछे, तो उसकी चालीस दिन तौबा कबुल ना हो! और काहीन की बात पर यकीन रखे तो काफीर हो गया!*_
_*फतावा तारखानीया मे है!*_
_*जो कहे मै छिपी हुई चिजो को जान लेता हू, या जिन्न के बताने से बता देता हु, तो वह काफीर है!*_
_*इसी तरह शगुन लेना शरीयत ए इस्लामी मे शिर्क बताया गया है! शिर्क करने वाला हमेशा हमेशा जहन्नम मे रहेंगा!*_
_*📚 हदिस.... हजरत इब्ने मसऊद रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने रसुल ए करीम ﷺ का यह इरशाद बयान किया है!*_
_*"शगुन लेना शिर्क है, शगुन लेना शिर्क है, अगरचे अक्सर लोग शगुन लेते है!*_
_*📕 मिश्कात शरीफ, जिल्द नं २, हदिस नं ४३८०*_
_*"तबरानी" ने हजरत इब्ने उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु के हवाले से लिखा है!*_
_*"शगुन लेना शिर्क शिर्क है, और यह अल्फाज तिन मरतबा अदा किये! फिर कहा " सफर को जाने वाला किसी शगुन की वजह से लौट आए तो उसने हुजुर ﷺ पर नाजील शुदा अहकाम ए इलाही याने (कुरआन ए करीम) का इंकार किया!*_
_*(तबरानी शरीफ)*_
_*"रिवायत है के जो शख्स किसी शगुन की रु (वजह) से अपना काम न कर सका तो यकीनन उसने शिर्क किया!*_
_*📕 मा सबता बिसुन्नह फी अय्यामिन सुन्नह सफा नं ६३*_
_*इस्तेखा़रा में किसी नये काम शुरू करने में अल्लाह से दुआ़ करना और उसकी मर्ज़ी माअ़लूम करना मक़सद होता है। यह रसूलुल्लाह ﷺ, सहाबाए किराम और बुजु़र्गाने दीन का तरीक़ा है।*_
_*📚 [ हदीस :- ].... हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह [ रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते हैं।--------*_
_*रसूलुल्लाह ﷺ हमें हर काम में हमें इस्तेखा़रा की तलक़ीन फ़रमाते थे जैसे क़ुरआन की कोई सूरत सिखाते"*_
_*📕 बुखारी शरीफ, जिल्द 1, सफा नं 455, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1, सफा नं 292*_
_*📚 [ हदीस :- ] सरकारे मदिना ﷺ ने इरशाद फरमाया ......*_
_*"अल्लाह तआला ने इस्तेखा़रा करना औलादें आदम [ इन्सानो ] की ख़ुशबख़्ती है और इस्तेखा़रा न करना बद बख़्ती है"।*_
_*इस्तेखा़रा किसी भी नये काम को शुरू करने से पहले करना चाहिये जैसे नया कारोबार शुरू करना हो, नया मकान बनानाया ख़रीदना हो, किसी सफ़र पर जाना हो, या कोई नयी चीज़ ख़रीदना है, वगैरह वगैरह इन सब में नुकसान होगा या फ़ायदा यह जानने के लिए इस्तेखा़रा का अ़मल किया जाना चाहिए।*_
_*....अब चूंकि शादी एक ऐसा काम है जिस पर सारी ज़िन्दगी के आराम व सुकून का दारोमदार है बीवी अगर नेक, परहेज़गार, मुहब्बत करने वाली, ख़ुशमिज़ाज होगी तो ज़िन्दगी ख़ुशियों से भरी होगी और आने वाली नस्ल भी एक बेहतर नस्ल साब़ित होंगी। लेकिन अगर बीवी बदमिज़ाज, बदक़ार, बेवफ़ा, हुई तो सारी ज़िन्दगी झगड़ो से भरी और सुकून से खाली होगी। यहाँ तक कि तलाक़ तक नौबत पहुँच जाऐगी । लिहाजा जरूरी है कि शादी से पहले ही माअ़लूम कर लिया जाए के जिस औरत को अपनी शरीकेे जिन्दगी [ बीवी ] बनाना चाहता है। वोह दीन व दुनिया के एतेबार से बेहतर साबित होगी या नहीं।*_
_*📚 [ हदीस :- ].... हज़रत इब्ने ऊमर व हज़रत सहल बिन सअ़द [रदिअल्लाहो तआला अन्हुमा ] से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया--------*_
_*"अगर नहुसत किसी चीज़ में है तो वह घर, औरत, और घोड़ा है [ यानी अगर दुनिया मे कोई चीज़ मन्हूस होती तो यह हो सकती थी, लेकीन होती नही हैं ]*_
_*📕 मुस्नदे इमामे आ़ज़म बाब नं 121, सफा नं 211,मोता इमाम मालिक़, जिल्द नं 2, बाब नं 8, हदीस नं 21, सफा नं 207, बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 47, हदीस नं 86, सफा नं 61, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 327, हदीस नं 730, सफा नं 295, अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3 बाब 206, हदीस नं 524, सफा नं 186, नसाई शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 538, इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, बाब नं 643, हदीस नं 2064, सफा नं 555, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2953, सफा नं 70, मासबता बिस्सुन्ना, सफा नं 70*_
_*👉🏻 इमाम तिर्मिज़ी [रदिअल्लाहो तआला अन्हु ] इस हदिस के मुत्ताल्लीक इरशाद फरमाते है-----*_
_*यह हदीस हसन सही है هذا حديث حسن صحيح" यह हदीस अहादीस की और दीगर किताबों जैसे मुस्लिम शरीफ, मुस्नदे इमाम अहमद, तबरानी वगैरा में भी नक़्ल है। इस से पहले एडीशनो में हमने ये हदीस बुखारी के अ़ल्फाज़ मे नक़्ल की थी और हालाँकि अपनी तरफ से इस पर कोई तबसेरा भी नही किया था। लेकिन इस के बावजूद कुछ ना वाक़िफ़ो ने इस पर एतराज़ात किये थे। लिहाजा इस बार मज़ीद हवाले बढ़ा दिये गये है। अब भी अगर किसी साहब का हम पर इल्ज़ाम बाकी हो तो वोह हमसे सही हवाले देख सकते हैं।*_
_*📚 [ शरह :- ].... इमामे आ़ज़म अबू हनीफा [रदिअल्लाहो तआला अन्हो] इस हदीस की तशरीह में फरमाते है। कि-----*_
👉🏻 _*....घर की नहुसत यह है कि वह तंग [छोटा] हो [और बुरे पड़ोसी हो] घोड़े की नहुसत यह है के सरकश हो! औरत की नहुसत यह है के बद अख्लाख हो, हजरत इमाम हसन बिन सुफियान रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने उसमे इजाफा किया और कहा की बद अख्लाख और बांज हो!*_
_*📕 मुस्नदे इमामे आ़ज़म, बाब नं 121, सफा नं 212*_
_*✍🏻 [ शरह :- ].... इसी हदीस की शरह में आ़ला हज़रत इमाम अहले सुन्नत हजरत अहमद रज़ा ख़ाँन कादरी, महद्दीस बरेलवी [रदिअल्लाहो तआला अन्हु] इरशाद फरमाते है। ------*_
_*💎 "शरीअ़त के मुताबिक़ नहूसत यह है कि घर तंग हो, पड़ोसी बुरे हो, और घोड़े की नहूसत यह है कि शरीर हो बद लगाम हो, बद रकाब हो, औरत की नहूसत यह है कि बदज़बान, बद अख़्लाक (जुहान दराज) हो, । और बाकी यह ख़्याल हो के औरत के चेहरे से यह हुआ फु़ंला के चैहरे से यह हुआ , यह सब बातील (बकवास) है और क़ाफ़िरों के ख़्याल है"*_
_*📕 फ़तावा ए रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 254*_
_*अब आपने जान लिया के किसी शख्स के लिये कोई औरत नहुसत का सबब (यानी बद अख्लाख, और जुबान दराज) भी हो सकती है, और फित्ना भी! जाहीर है जो औरत बद अख्लाख, जुबान दराज, और फित्ना परवर हो तो तकलिफ व परेशानी का सबब होंगी! लिहाजा यह जानने के लिये की जिस लडकी से आप निकाह करना चाहते है वह आपके हक मे बेहतर साबीत होंगी या नही! सह सब जानने के लिये इस्तेखारा जरुर करे!*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment